नज़ारे
- Niharika
- Apr 13, 2023
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Updated: May 3
पहाड़ों में छिपा है
खुशी इस रूह की,
ऊँचाईयों को चूमने से
धड़कती है दिल मेरी ।
सड़कों पर, गलियों पर,
दौड़ती-फिरती थी,अब
अंतर यह कि, अंदर हूँ मैं,
दूर यह सब नज़ारे !
जहां हूँ अब वहीं रहूँ
धुंधली इन नज़ारों की,
खूबियों में खो जाऊँ ।
छूटे हुए के यादों में
इस पल को ना खो दूँ।
हवा में ताज़गी और
हाथ में गरम चाय,
इन किनारों को अब
पनाह मैं बना हूँ ।
जहां हूँ वहीं रहकर,
जिंदगी की मज़े लूँ ।
-17/09/21
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